
24 मई 2025। क्या मानव की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोका या उलटा जा सकता है? गेरोसाइंस (Geroscience) नामक उभरता हुआ वैज्ञानिक क्षेत्र इस यथार्थ की खोज में जुटा है। इसका मानना है कि यदि हम उम्र बढ़ने से जुड़े आणविक और जैविक तंत्रों को समझकर उन्हें लक्षित करें, तो न सिर्फ जीवनकाल बढ़ाया जा सकता है, बल्कि स्वस्थ जीवन के वर्षों में भी इज़ाफा किया जा सकता है।
उम्र: एक रोग, न कि सिर्फ प्रक्रिया
आज भी अधिकांश लोगों के लिए उम्र बढ़ना अपरिहार्य, अस्थिर और निराशाजनक गिरावट का संकेत है — शारीरिक कमजोरी, रोगों के प्रति संवेदनशीलता और सीमित जीवनशैली। लेकिन गेरोसाइंस इस धारणा को बदल रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वृद्धावस्था केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों की जड़ भी है, जैसे हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज, अल्जाइमर और कैंसर।
गेरोसाइंस: दीर्घायु और स्वास्थ्य का विज्ञान
गेरोसाइंस परिकल्पना इस आधार पर काम करती है कि उम्र बढ़ना ही कई पुरानी बीमारियों का मूल कारण है। यदि इस उम्रदराज़ी की जड़ को ही निशाना बनाया जाए, तो विभिन्न बीमारियों से एक साथ बचाव संभव हो सकता है। शोधकर्ता अब उम्र बढ़ने की जटिल जैविक प्रक्रियाओं को समझने और उन्हें धीमा करने की दिशा में बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं।
इन प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
डीएनए को नुकसान और उसकी मरम्मत की घटती क्षमता
टेलोमेरेस की लंबाई में कमी
प्रोटीन संश्लेषण में गिरावट
माइटोकॉन्ड्रिया की कार्यक्षमता में ह्रास
स्टेम कोशिकाओं का नवीकरण क्षमता खोना
कोशिकीय संचार में बाधा
सूजन और इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि
ये सभी परिवर्तन वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों की संभावना को बढ़ाते हैं।
सेनेसेंट कोशिकाएं: उम्र बढ़ने की चाबी
एक महत्वपूर्ण खोज है "सेनेसेंट कोशिकाएं" – ये वे कोशिकाएं हैं जो विभाजन बंद कर देती हैं पर शरीर से निकलती नहीं हैं। वे शरीर में सूजन और ऊतक क्षति को बढ़ावा देती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इन कोशिकाओं का जमाव उम्र से जुड़ी कई समस्याओं का मुख्य कारण है।
इन्हीं कोशिकाओं को शरीर से साफ़ करने की दिशा में "सेनोलिटिक्स" नामक दवाओं पर शोध हो रहा है। प्रयोगशाला में जानवरों पर किए गए परीक्षणों में इन दवाओं ने जीवनकाल और स्वास्थ्य अवधि दोनों को बढ़ाने में सफलता पाई है। स्टार्टअप कंपनियाँ भी अब इस तकनीक को मानव परीक्षण में ले जा रही हैं, और यदि परिणाम सकारात्मक रहे, तो आने वाले वर्षों में ये दवाएं वृद्धावस्था की प्रक्रिया को प्रभावित करने में सक्षम हो सकती हैं।
कैलोरी प्रतिबंध: एक पुरानी लेकिन प्रभावी रणनीति
वृद्धावस्था पर प्रभाव डालने वाला एक अन्य प्रमाणित तरीका है – कैलोरी प्रतिबंध (Calorie Restriction – CR)। यह तकनीक बिना कुपोषण के कैलोरी सेवन को 20–40% तक घटाकर शरीर में जैविक सुधार लाती है। इससे ऑटोफैगी में वृद्धि, माइटोकॉन्ड्रियल कार्यों में सुधार और ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी देखी गई है — जो सभी जीवन को लंबा और रोगमुक्त बनाने में मदद करते हैं।
गेरोसाइंस केवल दीर्घायु की नहीं, बल्कि "स्वस्थ दीर्घायु" की बात करता है। इस शोध से भविष्य में ऐसी चिकित्सीय तकनीकें विकसित हो सकती हैं जो उम्र से जुड़ी बीमारियों को टालने, रोकने या उलटने में सहायक हों। यदि सफलताएं जारी रहीं, तो यह मानवता को एक नई दिशा दे सकता है — जहाँ बुजुर्ग जीवन भी पूर्ण ऊर्जा और आत्मनिर्भरता से भरा हो।