
28 सितंबर 2025। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैंसेट में गुरुवार को प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन ने चेतावनी दी है कि 2050 तक कैंसर से होने वाली वार्षिक मौतें 75% तक बढ़कर 1.86 करोड़ (18.6 मिलियन) तक पहुँच सकती हैं। इसका मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या और उम्रदराज होती आबादी माना गया है।
कम और मध्यम आय वाले देशों पर सबसे ज्यादा असर
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी कैंसर कोलेबोरेटर्स की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, नए कैंसर मामलों में आधे से अधिक और कुल मौतों का दो-तिहाई हिस्सा कम और मध्यम आय वाले देशों में दर्ज होगा।
“कम संसाधन वाले देशों में खतरा अधिक”
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) से जुड़ी मुख्य लेखिका डॉ. लिसा फोर्स ने कहा,
“कैंसर दुनिया भर में बीमारियों का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। आने वाले दशकों में इसका बोझ और बढ़ेगा, खासकर उन देशों में जहाँ स्वास्थ्य संसाधन सीमित हैं।”
सीएटल स्थित IHME इस शोध का नेतृत्व कर रहा है। यह अध्ययन 1990 से अब तक के कैंसर रजिस्ट्री और हेल्थकेयर सर्वे डेटा पर आधारित है। आंकड़ों के अनुसार, 1990 से 2023 के बीच हर साल नए कैंसर मामलों की संख्या दोगुनी होकर 1.85 करोड़ तक पहुँच गई है और आगे भी यह रफ्तार बनी रह सकती है।
तंबाकू और अन्य प्रमुख कारण
2023 में सभी कैंसर मौतों में से 21% तंबाकू सेवन से जुड़ी थीं, खासकर पुरुषों में।
कम आय वाले देशों में असुरक्षित यौन संबंध और HPV संक्रमण सबसे बड़ा कारण रहा।
पुरुषों में शराब, अस्वस्थ आहार, कार्यस्थल पर जोखिम और वायु प्रदूषण अहम कारक पाए गए।
महिलाओं में मोटापा और हाई ब्लड शुगर प्रमुख कारणों में शामिल रहे।
रोकथाम की बड़ी संभावना
सह-लेखक डॉ. थियो वॉस का कहना है कि कई कैंसर मौतें ऐसे कारणों से होती हैं जिन्हें जीवनशैली बदलकर रोका जा सकता है। धूम्रपान छोड़ना, संतुलित आहार अपनाना और सुरक्षित यौन व्यवहार जैसे कदम रोकथाम में अहम साबित हो सकते हैं।