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रूस को भरोसा: भारत के साथ ऊर्जा साझेदारी जारी रहेगी — उप प्रधानमंत्री नोवाक

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 517

17 अक्टूबर 2025, मॉस्को। रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्ज़ेंडर नोवाक ने कहा है कि भारत के साथ देश की ऊर्जा साझेदारी मज़बूती से जारी रहेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि रूस के ऊर्जा संसाधनों की वैश्विक मांग और आर्थिक लाभ इस सहयोग को आगे भी बनाए रखेंगे।

रूस एनर्जी वीक के दौरान नोवाक ने कहा, “हमारे ऊर्जा संसाधन व्यावहारिक और आर्थिक रूप से लाभदायक हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे सहयोगी हमारे साथ काम करना, संवाद करना और ऊर्जा साझेदारी को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।” उन्होंने खास तौर पर भारत का ज़िक्र करते हुए कहा, “हम अपने मित्रवत साझेदारों के साथ सहयोग जारी रखेंगे।”

नोवाक की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आई है, जिसमें ट्रंप ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा था, “मैं खुश नहीं था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, लेकिन मोदी ने मुझे भरोसा दिलाया कि वे ऐसा नहीं करेंगे। यह बड़ा कदम है — अब हमें चीन से भी यही करवाना होगा।”

हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि उन्हें मोदी और ट्रंप के बीच किसी भी फोन कॉल की जानकारी नहीं है।

2022 से भारत ने रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी की है। मार्केट एनालिटिक्स फर्म Kpler के मुताबिक, सितंबर 2025 में भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 34% तक पहुंच गई थी।

अगस्त में, ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी, यह कहते हुए कि रूस से तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचने में मदद कर रहा है।

नोवाक ने यह भी पुष्टि की कि भारत की कुछ रिफ़ाइनर कंपनियां अब रूसी तेल के भुगतान चीनी युआन में कर रही हैं। उन्होंने TASS को बताया, “मुझे जानकारी है कि युआन में भुगतान शुरू हो गए हैं, हालांकि अभी यह अनुपात छोटा है क्योंकि ज़्यादातर भुगतान रूबल में ही किए जा रहे हैं।”

गौरतलब है कि रूसी तेल व्यापारी अमेरिकी डॉलर की बजाय युआन में भुगतान लेना पसंद कर रहे हैं ताकि उन्हें मुद्रा विनिमय की प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। युआन अब रूस में प्रमुख विदेशी मुद्रा बन चुकी है और चीन इसका सबसे बड़ा ऑफशोर ट्रेडिंग सेंटर है।

संक्षेप में: ट्रंप के दावों के बावजूद रूस को पूरा भरोसा है कि भारत के साथ उसकी ऊर्जा साझेदारी न सिर्फ़ जारी रहेगी, बल्कि नई भुगतान प्रणालियों और सहयोग के नए रूपों के साथ और मज़बूत होगी।

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