
19 सितंबर 2025। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में “Harnessing Traditional Knowledge for Nutrition and Modern Well-being in Madhya Pradesh” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा वित्तपोषित एवं समर्थित है तथा सेंटर फॉर साइंस कम्युनिकेशन और विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. एम.एम. गोरे, वरिष्ठ वैज्ञानिक, राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि डॉ. निपुण सिलावट, प्राचार्य वैज्ञानिक, MPCST, भोपाल तथा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवि प्रकाश दुबे उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन डॉ. प्रीति सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की प्रो-चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने की। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण को नई दिशा प्रदान करना है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. एम.एम. गोरे ने पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि परंपरागत भारतीय ज्ञान और अनुभवजन्य पद्धतियाँ आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं और इनका संरक्षण तथा समुचित उपयोग समय की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शोध को जोड़कर हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य एवं जीवनशैली का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
कुलपति डॉ. आर.पी. दुबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वय समाज को स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करेगा। वहीं डॉ. निपुण सिलावट ने कहा कि यह पहल मध्यप्रदेश को पोषण एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई पहचान दिलाएगी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. प्रीति सिंह ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी अतिथियों का अभिनंदन किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। शुभारंभ अवसर पर श्री संतोष कौशिक द्वारा प्रस्तुत “विज्ञान गीत” ने कार्यक्रम को विशेष गरिमा प्रदान की। इस दौरान “इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए” पत्रिका एवं स्मारिका का विमोचन भी किया गया। अंत में श्री मोहन सगोरिया ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
तकनीकी सत्र :
उद्घाटन सत्र के उपरांत प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में विषय-विशेषज्ञ डॉ. गजेन्द्र सिंह व, मेडिकल ऑफिसर, झाँसी, डॉ. एम.एम. गोरे, वरिष्ठ वैज्ञानिक, राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, डॉ. सी.पी. मिश्रा, डीन, मेडिकल साइंस एवं डॉ. एच.डी. वर्मा, डीन, कृषि संकाय, विशेष रूप से उपस्थित रहे।
डॉ. गजेन्द्र सिंह ने “Applying Traditional Knowledge and Ayurveda for Sustainable Health” विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि आयुर्वेद आधारित परंपरागत ज्ञान आज की जीवनशैली से जुड़ी अनेक बीमारियों के निवारण में सहायक सिद्ध हो सकता है।
डॉ. एम.एम. गोरे ने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़कर जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यदि इसे व्यवहारिक जीवन का हिस्सा बनाया जाए तो समाज को अनेक स्तरों पर लाभ हो सकता है। वहीं डॉ. सी.पी. मिश्रा ने “Current Status of Malnutrition in India” विषय पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि भारत में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए पारंपरिक आहार पद्धतियों और आधुनिक पोषण विज्ञान का संयुक्त प्रयास अत्यंत आवश्यक है।
सत्र की शुरुआत स्वागत उद्बोधन से हुई, जिसे डॉ. एच.डी. वर्मा ने प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन सुश्री मुस्कान जैन ने किया और अंत में डॉ. सुची मोदी, प्राध्यापक, जीवन विज्ञान विभाग ने सभी का आभार व्यक्त किया।