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डार्क वेब, हैकिंग और फोन स्कैम: कितनी सुरक्षित है आपकी डिजिटल दुनिया?

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1521

27 सितंबर 2025। इंटरनेट पर हम जो देखते हैं, वह असल वेब का सिर्फ़ 3 प्रतिशत हिस्सा है। इसके नीचे छिपा है विशाल "डीप वेब" और "डार्क वेब", जहाँ से साइबर अपराधियों का नेटवर्क चलता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने एक वीडियो में चेतावनी दी कि रोज़मर्रा के साधारण यूज़र भी अब फोन हैकिंग, डिजिटल स्कैम और डार्क वेब के खतरों की जद में हैं।

डार्क वेब क्या है?
डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जहाँ पहुँचने के लिए खास टूल्स (जैसे TOR ब्राउज़र) की ज़रूरत होती है। यह गुमनामी देता है, इसलिए इसका इस्तेमाल कई अपराधी ड्रग्स, हथियार, डेटा चोरी और हैकिंग सेवाओं की खरीद-फरोख्त के लिए करते हैं। हालांकि, इसका प्रयोग निजता बचाने और सुरक्षित संचार के लिए भी किया जाता है।

फोन हैकिंग कितनी आसान?
वीडियो में दिखाया गया कि कैसे साधारण दिखने वाली चार्जिंग केबल भी हैकिंग टूल हो सकती है। RFID स्कैनर या "फ्लिप ज़ीरो" जैसे डिवाइस से क्रेडिट कार्ड और फोन तक एक्सेस मिल सकता है। ब्लूटूथ और वाई-फाई के ज़रिए भी कई बार फोन को दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।

नए किस्म के डिजिटल स्कैम
डिजिटल अरेस्ट: फोन स्क्रीन लॉक कर फर्जी नोटिस दिखाना और जुर्माना भरने की धमकी।
फिशिंग लिंक: नकली वेबसाइट या मैसेज से डेटा चुराना।
नकली VPN और ऐप्स: यूज़र की जानकारी चोरी करने के लिए मुफ्त सेवाओं का लालच।
इन्कॉग्निटो मोड और VPN की सच्चाई

कई लोग मानते हैं कि इन्कॉग्निटो मोड उन्हें अदृश्य बना देता है, लेकिन यह सिर्फ़ स्थानीय हिस्ट्री नहीं सेव करता। इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) और वेबसाइट फिर भी आपकी गतिविधि ट्रैक कर सकते हैं।
VPN मददगार है, लेकिन सभी VPN भरोसेमंद नहीं होते। सिर्फ़ नो-लॉग पॉलिसी वाले और प्रामाणिक VPN ही चुनना चाहिए।

कैसे बचें?
अनजान चार्जिंग केबल और USB का इस्तेमाल न करें।
NFC, ब्लूटूथ और लोकेशन जैसी अनावश्यक सेवाएं बंद रखें।
मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का प्रयोग करें।
सिर्फ़ आधिकारिक ऐप स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें।
साइबर सुरक्षा के बुनियादी नियम नियमित रूप से अपनाएँ।

डार्क वेब और साइबर हैकिंग अब सिर्फ़ फिल्मों की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे रोज़मर्रा जीवन की हकीकत बन चुकी है। आम यूज़र को घबराने के बजाय डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और सतर्क रहने की ज़रूरत है।

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