
30 सितंबर 2025। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका चीन से संभावित सैन्य संघर्ष को ध्यान में रखते हुए हथियार उत्पादन तेज करने पर जोर दे रहा है। पेंटागन को आशंका है कि मौजूदा हथियार भंडार किसी बड़े युद्ध के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, इसी वजह से वह मिसाइल निर्माताओं पर उत्पादन दोगुना से चार गुना तक बढ़ाने का दबाव डाल रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पेंटागन ने जून में इस दिशा में अभियान शुरू किया था। रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ जनरल डैन केन की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में प्रमुख मिसाइल कंपनियों, एंडुरिल इंडस्ट्रीज जैसे स्टार्टअप और अहम पुर्ज़ा आपूर्तिकर्ताओं को बुलाया गया था। इस पहल को “म्यूनिशंस एक्सीलरेशन काउंसिल” नाम दिया गया है।
उप रक्षा मंत्री स्टीव फेनबर्ग इस परियोजना में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वे हर हफ्ते वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से कॉल करके प्रगति की निगरानी करते हैं।
पेंटागन के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप और मंत्री हेगसेथ अमेरिकी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए असाधारण कदम उठा रहे हैं। हथियारों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए रक्षा उद्योग और पेंटागन मिलकर काम कर रहे हैं।”
मुख्य बिंदु
नई परिषद 12 हथियार प्रणालियों पर फोकस कर रही है, जिन्हें चीन के साथ संभावित संघर्ष के लिए अहम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लक्ष्य व्यवहारिक नहीं हो सकते, क्योंकि कुछ मिसाइल सिस्टम को तैयार करने में दो साल तक लगते हैं।
नए आपूर्तिकर्ताओं को मान्यता देने की प्रक्रिया महंगी और समय लेने वाली है।
हाल ही में पारित रक्षा बजट में पांच साल के लिए 25 अरब डॉलर अतिरिक्त दिए गए हैं, लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक यह भी पर्याप्त नहीं है।
अमेरिका, चीन को अपना सबसे बड़ा रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है। उसका मानना है कि बीजिंग ताइवान पर दबाव बढ़ा रहा है और भविष्य में बलपूर्वक पुनर्मिलन की कोशिश कर सकता है। वाशिंगटन को आशंका है कि इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में युद्ध छिड़ सकता है और अमेरिकी सेनाओं को सीधे शामिल होना पड़ सकता है।
उधर, चीन बार-बार इन आरोपों को खारिज करता आया है। उसका कहना है कि ताइवान उसका आंतरिक मामला है और अमेरिका हथियार देकर तथा अलगाववादी भावनाएं भड़का कर तनाव बढ़ा रहा है।