21 दिसंबर 2025। दुनिया की सबसे बड़ी एविएशन कंपनी एयरबस ने अपने अहम डिजिटल सिस्टम Google की क्लाउड सेवाओं से हटाने का फैसला किया है। कंपनी का कहना है कि यह कदम अमेरिकी अधिकार क्षेत्र से जुड़े सुरक्षा जोखिमों और डेटा संप्रभुता की चिंताओं को देखते हुए उठाया गया है।
एयरबस अब अपने मिशन-क्रिटिकल वर्कलोड को एक यूरोपीय सॉवरेन क्लाउड में शिफ्ट करने की तैयारी कर रही है, ताकि संवेदनशील औद्योगिक और डिजाइन से जुड़ी जानकारी पूरी तरह यूरोपीय नियंत्रण में रह सके।
यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब Google अमेरिका में अपने AI असिस्टेंट ‘जेमिनी’ को लेकर एक क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना कर रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोप है कि अक्टूबर में Gmail, Chat और Meet में जेमिनी को बिना स्पष्ट सहमति के एक्टिवेट किया गया, जिससे ईमेल, अटैचमेंट और वीडियो कॉल तक पहुंच संभव हो गई। Google ने इन आरोपों से इनकार किया है।
एयरबस फिलहाल Google Workspace का इस्तेमाल करता है, लेकिन कंपनी अपने डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के बाद प्रमुख ऑन-प्रिमाइसेस सिस्टम को नए यूरोपीय क्लाउड प्लेटफॉर्म पर माइग्रेट करना चाहती है। इस बदलाव में प्रोडक्शन, बिजनेस मैनेजमेंट और एयरक्राफ्ट डिजाइन से जुड़ा डेटा शामिल होगा।
कंपनी का आकलन है कि उसकी तकनीकी और कानूनी शर्तों पर खरे उतरने वाले यूरोपीय क्लाउड प्रोवाइडर मिलने की संभावना करीब 80 प्रतिशत है।
एयरबस की डिजिटल एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट कैथरीन जेस्टिन ने कहा, “कुछ जानकारी राष्ट्रीय और यूरोपीय स्तर पर बेहद संवेदनशील है। हमें एक ऐसा सॉवरेन क्लाउड चाहिए, जहां डेटा पूरी तरह यूरोपीय नियंत्रण में रहे।”
50 मिलियन यूरो से ज्यादा के इस कॉन्ट्रैक्ट का टेंडर जनवरी की शुरुआत में जारी होने की उम्मीद है और गर्मियों से पहले इस पर फैसला हो सकता है।
इसी बीच, एयरबस ने यह भी माना है कि इस साल वैश्विक विमान ऑर्डर की रेस में उसका अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी बोइंग उसे पीछे छोड़ सकता है। सीईओ गिलौम फॉरी के मुताबिक, व्यापार वार्ताओं के दौरान बोइंग को राजनीतिक समर्थन का फायदा मिला।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी सार्वजनिक रूप से बोइंग की बिक्री बढ़ाने का श्रेय ले चुके हैं और हाल ही में खुद को “बोइंग के इतिहास का सबसे बड़ा सेल्समैन” बता चुके हैं।














