28 दिसंबर 2025। साल 2025 सिर्फ कैलेंडर का एक और पन्ना नहीं रहा। यह साल दुनिया और भारत दोनों के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। सत्ता, तकनीक, युद्ध, जलवायु और लोकतंत्र, हर मोर्चे पर पुराने नियम टूटे और नए समीकरण बने।
दुनिया: ताकत की राजनीति और तकनीक का टकराव
2025 में वैश्विक राजनीति साफ तौर पर दो ध्रुवों में बंटी दिखी।
यूक्रेन युद्ध ने तीसरे साल में भी दुनिया को चैन नहीं लेने दिया। रूस पर प्रतिबंधों का असर दिखा, लेकिन युद्ध थमा नहीं। यूरोप हथियारों और ऊर्जा संकट के बीच झूलता रहा।
मध्य पूर्व में गाजा और आसपास के इलाकों में तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। युद्धविराम की कोशिशें होती रहीं, लेकिन स्थायी शांति अभी दूर है। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव ने एक बार फिर वैश्विक बाजारों की नींद उड़ा दी।
चीन 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। ताइवान को लेकर आक्रामक रुख, दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधियां और तेजी से बढ़ता न्यूक्लियर इन्फ्रास्ट्रक्चर, सब कुछ साफ इशारा करता है कि बीजिंग अब सिर्फ आर्थिक शक्ति बनकर संतुष्ट नहीं है।
इसी बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया की सबसे बड़ी बहस बन गया। यूरोप ने AI को लेकर सख्त कानून बनाए, अमेरिका टेक कंपनियों को काबू में लाने की कोशिश करता दिखा और AI जॉब कटौती, डीपफेक और चुनावी दखल जैसे मुद्दे पहली बार आम जनता की चिंता बने।
जलवायु संकट ने भी 2025 में कोई राहत नहीं दी। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, जंगलों की आग, बाढ़ और सूखे ने यह साफ कर दिया कि अब “क्लाइमेट चेंज भविष्य का खतरा” नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई है।
भारत: चुनाव, अर्थव्यवस्था और डिजिटल मोड़
भारत के लिए 2025 राजनीतिक और आर्थिक दोनों लिहाज से अहम रहा। लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार ने विकास और स्थिरता का दावा किया, लेकिन बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्दे लगातार चर्चा में रहे।
आर्थिक मोर्चे पर भारत ने खुद को वैश्विक सप्लाई चेन के विकल्प के रूप में आगे बढ़ाया। मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर और डिफेंस प्रोडक्शन में नए निवेश आए। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा, लेकिन असमानता की खाई और चौड़ी होती दिखी।
डिजिटल इंडिया 2025 में अगले लेवल पर पहुंचा।
AI, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, UPI और डेटा पॉलिसी ने भारत को टेक पावरहाउस की छवि दी। साथ ही, साइबर क्राइम, डेटा लीक और डिजिटल निगरानी पर गंभीर सवाल भी उठे।
विदेश नीति में भारत ने संतुलन बनाए रखा। अमेरिका, रूस, यूरोप और ग्लोबल साउथ के साथ रिश्ते साधते हुए भारत ने खुद को “नॉन-अलाइनमेंट 2.0” की भूमिका में पेश किया।
मीडिया और समाज: भरोसे की लड़ाई
2025 में मीडिया का चेहरा भी बदला।
AI जनरेटेड न्यूज, डीपफेक वीडियो और फेक नैरेटिव्स ने भरोसे की सबसे बड़ी परीक्षा ली। इसी बीच, स्वतंत्र डिजिटल पत्रकारिता ने अपनी अहमियत साबित की। लोग शोर से थक चुके हैं और तथ्यों की तलाश में हैं।
भारत समेत दुनिया भर में यह साफ दिखा कि अब सवाल सिर्फ सूचना का नहीं, बल्कि सत्य का है।
अनिश्चितता के बीच विकल्प
2025 ने यह सिखाया कि दुनिया अब “स्थिरता” के दौर में नहीं है। अनिश्चितता ही नया नॉर्मल है।
तकनीक अवसर भी है और खतरा भी। ताकत की राजनीति लौट आई है, लेकिन जनता पहले से ज्यादा जागरूक है।














