बीजिंग / वॉशिंगटन 23 दिसंबर 2025। चीन ने मंगोलिया से लगी अपनी सीमा के पास बनाए गए तीन नए मिसाइल साइलो फील्ड में चुपचाप 100 से ज्यादा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) तैनात कर दी हैं। यह दावा रॉयटर्स द्वारा देखी गई एक ड्राफ्ट पेंटागन रिपोर्ट में किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये साइलो सॉलिड-फ्यूल वाली DF-31 ICBM से लैस किए गए हैं। पेंटागन ने पहले इन साइलो फील्ड के अस्तित्व की जानकारी दी थी, लेकिन पहली बार यह आकलन सामने आया है कि इनमें इतनी बड़ी संख्या में मिसाइलें लोड की जा चुकी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इस वक्त किसी भी अन्य परमाणु शक्ति की तुलना में अपने परमाणु हथियारों का सबसे तेज़ी से विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है। साथ ही, बीजिंग हथियार नियंत्रण या परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ताओं में बहुत कम दिलचस्पी दिखा रहा है।
पेंटागन का आकलन है कि,
“बीजिंग की ओर से हथियार नियंत्रण से जुड़े ठोस कदम या व्यापक बातचीत की कोई वास्तविक इच्छा फिलहाल नजर नहीं आती।”
यह निष्कर्ष ऐसे समय आया है, जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और रूस के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता की संभावना जताई थी। हालांकि रिपोर्ट का कहना है कि चीन इस दिशा में आगे बढ़ने के मूड में नहीं है।
चीन ने पहले भी ऐसे आकलनों को खारिज करते हुए कहा है कि ये रिपोर्टें “चीन को बदनाम करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने” की कोशिश हैं। वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने ताज़ा रिपोर्ट पर टिप्पणी के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में चीन के पास 600 से कुछ अधिक परमाणु हथियार थे। उत्पादन की रफ्तार भले ही पिछले वर्षों की तुलना में कुछ धीमी रही हो, लेकिन बीजिंग 2030 तक 1,000 से अधिक परमाणु हथियार रखने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
चीन आधिकारिक तौर पर अब भी ‘पहले इस्तेमाल न करने’ (No First Use) की नीति का दावा करता है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि हाल के वर्षों में चीन का सार्वजनिक व्यवहार इस नीति से उलट दिखाई दे रहा है।
फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज़ के वरिष्ठ विश्लेषक जैक बर्नहैम के मुताबिक,
“जो देश अब भी ‘पहले इस्तेमाल न करने’ की बात करता है, वह अब अपने परमाणु हथियारों के प्रदर्शन में ज्यादा सहज हो गया है। सितंबर में चीन ने पहली बार अपने पूरे परमाणु त्रय को एक साथ परेड में दिखाया।”
रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि चीन को भरोसा है कि वह 2027 के अंत तक ताइवान पर युद्ध जीतने की क्षमता हासिल कर सकता है। बीजिंग ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और बल प्रयोग से कभी इनकार नहीं करता।
पेंटागन का कहना है कि चीन ताइवान पर “जबरदस्ती कब्जे” के विकल्पों पर काम कर रहा है, जिनमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अभियानों को बाधित करने के लिए 2,000 नॉटिकल मील तक लंबी दूरी के हमले शामिल हो सकते हैं।
ये सभी आकलन ऐसे वक्त सामने आए हैं, जब अमेरिका और रूस के बीच आखिरी बची परमाणु हथियार नियंत्रण संधि न्यू START 2010 की मियाद खत्म होने की कगार पर है। यह संधि दोनों देशों को 1,550 तैनात रणनीतिक परमाणु हथियारों तक सीमित करती है।
चीन मामलों के विशेषज्ञ गॉर्डन चांग ने कहा कि हाल ही में बने साइलो में से सिर्फ 100 में ही मिसाइलें लोड होना इस बात का संकेत हो सकता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को वित्तीय सीमाओं का सामना करना पड़ रहा है।
चांग ने चीन की भागीदारी के बिना न्यू START को आगे बढ़ाने को अमेरिका के लिए जोखिम भरा बताया। उनके मुताबिक,
“रूस और चीन अब व्यवहार में सहयोगी हैं। चीन को शामिल किए बिना किसी भी परमाणु हथियार समझौते का अमेरिका के हित में होना मुश्किल है।”














