
6 अक्टूबर 2025। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए अनुचित रूप से निशाना बना रहा है। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन द्वारा 25% दंडात्मक शुल्क लगाना “अनुचित” है और दोनों देशों को व्यापार रियायतों पर एक साझा समझौते की जरूरत है।
जयशंकर ने रविवार को कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार मामलों को लेकर कई मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, “रूस से ऊर्जा खरीदने पर हम पर जो अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, वह गलत है। खासकर तब, जब कई अन्य देश—जिनके रूस से हमारे मुकाबले कहीं ज्यादा शत्रुतापूर्ण संबंध हैं—वहीं काम कर रहे हैं।”
अगस्त में लागू किए गए इन शुल्कों में 25% टैरिफ शामिल है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता न होने के बाद लगाया गया था। इसके बावजूद भारत ने रूसी तेल आयात में कटौती से इनकार किया है। एनालिटिक्स फर्म Kepler के अनुसार, सितंबर में भारत की तेल आपूर्ति में रूस की हिस्सेदारी लगभग 1.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन यानी 34% रही।
जयशंकर ने कहा कि भारत को ऐसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) प्राथमिकता देने चाहिए जिनकी अर्थव्यवस्था स्थिर और पूर्वानुमानित है। उन्होंने कहा, “हम ब्रिटेन के साथ FTA से संतुष्ट हैं, यूरोपीय संघ के साथ गंभीरता से काम कर रहे हैं, और अमेरिका के साथ भी समझ बनाने का प्रयास जारी है।”
यूरोपीय संघ और अमेरिका लगातार भारत पर रूसी तेल आयात रोकने का दबाव डालते रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि इससे यूक्रेन संघर्ष को बल मिलता है। लेकिन जयशंकर पहले भी पश्चिम के “दोहरे मानदंडों” की आलोचना कर चुके हैं—खासकर जब बात वैश्विक दक्षिण की ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक आवश्यकताओं की हो।