
8 अक्टूबर 2025। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने मंगलवार को संसद में कहा कि सरकार 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के उपयोग से रोकने की योजना बना रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “हमने एक राक्षस को छोड़ दिया है। मोबाइल फोन हमारे बच्चों का बचपन छीन रहे हैं।”
फ्रेडरिक्सन ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि यह प्रतिबंध किन प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा या इसे किस तरह से लागू किया जाएगा। लेकिन उनका संदेश साफ था — डेनमार्क अब सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर गंभीर कदम उठाने जा रहा है।
सरकारी रिपोर्टों से पता चला है कि 94% डेनिश बच्चे 13 साल की उम्र से पहले ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हो जाते हैं, जबकि औसतन 9 से 14 वर्ष के बच्चे टिकटॉक और यूट्यूब पर रोज़ करीब तीन घंटे बिताते हैं।
डेनिश प्रतिस्पर्धा एवं उपभोक्ता प्राधिकरण की 2025 की रिपोर्ट में भी चेतावनी दी गई थी कि
10% बच्चे ऑनलाइन समय को लेकर पछतावा महसूस करते हैं,
21% को लॉग ऑफ करने में कठिनाई होती है, और
29% अपने तय समय से ज्यादा सोशल मीडिया पर रहते हैं।
सोशल मीडिया का दबदबा:
Statista के अनुसार, 2024 में फेसबुक अभी भी डेनमार्क का सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्क है (83% उपयोग), इसके बाद इंस्टाग्राम (65%), स्नैपचैट (51%) और टिकटॉक (34%) हैं।
2024 में ही एक नागरिक पहल को 50,000 से अधिक लोगों का समर्थन मिला, जिसमें नाबालिगों के लिए टिकटॉक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इस वर्ष फरवरी में डेनमार्क सरकार पहले ही स्कूलों में मोबाइल फोन पर बैन लगा चुकी है।
वैश्विक चिंता भी बढ़ी:
डब्ल्यूएचओ समर्थित अध्ययन में पाया गया कि यूरोप, मध्य एशिया और कनाडा में 2022 तक 11% किशोर सोशल मीडिया की लत जैसी समस्या से जूझ रहे हैं, जो 2018 में 7% थी। इनमें लड़कियों में यह प्रवृत्ति (13%) लड़कों (9%) की तुलना में अधिक पाई गई।
डेनमार्क का यह प्रस्ताव यूरोपीय संघ के भीतर किशोरों के डिजिटल जीवन पर नियंत्रण को लेकर एक नई बहस छेड़ सकता है — सवाल यह है कि बच्चों को बचाया जाए या डिजिटल युग में उन्हें और जिम्मेदारी से जीना सिखाया जाए।