भारत की एफडीआई यात्रा: 1 ट्रिलियन डॉलर की ऐतिहासिक उपलब्धि

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 928

13 दिसंबर 2024। भारत ने अपनी आर्थिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, क्योंकि अप्रैल 2000 के बाद से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) इनफ्लो $1 ट्रिलियन तक पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि में वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई में लगभग 26% की बढ़ोतरी के साथ $42.1 बिलियन का आंकड़ा सामने आया है। यह वृद्धि भारत की बढ़ती वैश्विक निवेश आकर्षण को दर्शाती है, जो एक मजबूत नीति ढांचे, कारोबारी माहौल और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता से प्रेरित है। एफडीआई ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जैसे कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, रोजगार सृजन और वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना।

बीते दशक में एफडीआई में जोरदार वृद्धि
अप्रैल 2014 से सितंबर 2024 तक कुल एफडीआई इनफ्लो $709.84 बिलियन रहा, जो पिछले 24 वर्षों का 68.69% है। इस मजबूत निवेश प्रवाह ने भारत की वैश्विक आर्थिक भूमिका को सशक्त किया है।

एफडीआई आकर्षित करने वाले प्रमुख कारक
प्रतिस्पर्धा और नवाचार: 2024 के वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक में भारत की रैंक 43वें से बढ़कर 40वें स्थान पर पहुंची। इसके अलावा, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023 में भारत 81वें स्थान पर रहा, जो 2015 के मुकाबले एक बड़ा सुधार है।

वैश्विक निवेश स्थिति: ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए तीसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था और अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्तीय सौदों में 64% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

सुधरता कारोबारी माहौल: भारत ने विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में 2014 में 142वें से 2020 में 63वें स्थान तक अपनी रैंकिंग सुधार ली, जो कारोबारी वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों का परिणाम है।

नीतिगत सुधार: एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई अहम नीतियां बनाई हैं, जिनमें अधिकांश क्षेत्रों में 100% एफडीआई की अनुमति, एंजेल टैक्स का समाप्ति, और विदेशी कंपनियों के लिए आयकर दरों में कटौती शामिल हैं।

भारत का यह एफडीआई इनफ्लो $1 ट्रिलियन की ऊंचाई पर पहुंचने की प्रक्रिया में है, और इसके पीछे बेहतर वैश्विक प्रतिस्पर्धा, नवाचार के क्षेत्र में प्रगति, और व्यापार-अनुकूल नीतियां महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। "मेक इन इंडिया" जैसे कार्यक्रमों और अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई आकर्षित करने वाली नीतियों से भारत को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल रही है।

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