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भारत रूस के साथ चौथी पीढ़ी की परमाणु ऊर्जा विकसित करना चाहता है : रोसाटॉम प्रमुख

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 285

2 सितंबर 2025। रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम के सीईओ अलेक्सी लिखाचेव ने कहा है कि भारत ने चौथी पीढ़ी की परमाणु ऊर्जा तकनीक को रूस के साथ मिलकर विकसित करने में गहरी रुचि दिखाई है।

सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर पत्रकारों से बातचीत में लिखाचेव ने कहा, “भारत शायद किसी और से ज्यादा हमारे साथ नई पीढ़ी की परमाणु ऊर्जा विकसित करने में इच्छुक है।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत भविष्य की उभरती तकनीकों — खासतौर पर क्वांटम टेक्नोलॉजी — पर विशेष ध्यान दे रहा है। ब्रिक्स मंच के अंतर्गत भारत और रूस के बीच क्वांटम परियोजनाओं में मजबूत सहयोग देखा जा रहा है।

भारत-रूस परमाणु साझेदारी
रोसाटॉम भारत के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएनपीपी) में 2000 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयाँ पहले ही स्थापित कर चुका है। कंपनी का लक्ष्य 2026 में तीसरी और 2027 में चौथी इकाई शुरू करने का है। साथ ही, भारत में दो और रिएक्टर इकाइयों के निर्माण के लिए एक ढाँचागत समझौता भी हो चुका है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत रूस के डिज़ाइन वाले बड़े परमाणु संयंत्रों के अलावा छोटे संयंत्रों में भी रुचि दिखा रहा है।

आर्कटिक मार्ग पर सहयोग
लिखाचेव ने आर्कटिक शिपिंग रूट्स के सामरिक महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का उल्लेख किया जिसमें मोदी ने उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route) को भविष्य का एक आशाजनक व्यापारिक गलियारा बताया था।
यह मार्ग रूस के आर्कटिक और सुदूर पूर्व क्षेत्रों से होकर यूरोप और एशिया को जोड़ता है और पारंपरिक स्वेज या पनामा नहर के मुकाबले माल परिवहन का समय काफी कम कर सकता है।

रोसाटॉम प्रमुख ने जानकारी दी कि भारत और रूस के बीच इस विषय पर एक संयुक्त अंतर-सरकारी कार्य समूह पहले ही बना दिया गया है। लक्ष्य रखा गया है कि आने वाले वर्षों में उत्तरी समुद्री मार्ग से भारत तक 50 लाख टन माल परिवहन किया जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सहयोग आने वाले समय में और भी व्यापक होगा।

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