
5 सितंबर 2025। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देशों को भारत और चीन जैसे एशियाई दिग्गजों से औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर बराबरी के आधार पर व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि आक्रामक रवैया इन देशों के नेताओं और उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अस्वीकार्य है।
औपनिवेशिक मानसिकता पर चोट
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पुतिन ने कहा कि भारत और चीन ने अपने इतिहास में लंबे समय तक उपनिवेशवाद और संप्रभुता पर हमलों जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना किया है।
उन्होंने कहा—
“भारत जैसे 1.5 अरब आबादी वाले देश और चीन जैसी 1.3 अरब आबादी वाली अर्थव्यवस्था अपने घरेलू राजनीतिक कानूनों के अनुसार चलते हैं। यदि पश्चिम उन पर सज़ा देने या आर्थिक दबाव डालने की भाषा बोलता है, तो यह औपनिवेशिक दौर की याद दिलाता है।”
पश्चिमी दबाव पर प्रतिक्रिया
यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर नए प्रतिबंधों और सहयोगी देशों पर दबाव के सवाल पर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को बहाना बनाकर आर्थिक मुद्दों को हल करने का प्रयास हो रहा है।
उन्होंने जोड़ा कि एशियाई देशों के नेता यदि ऐसे दबाव में नरमी दिखाते हैं, तो उनका राजनीतिक करियर खतरे में पड़ सकता है।
भारत-अमेरिका विवाद का ज़िक्र
पुतिन ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाया गया है, जिसमें 25% टैरिफ नई दिल्ली की रूसी तेल की खरीद को लेकर है। अमेरिकी अधिकारियों ने बार-बार इन सौदों की आलोचना की है, यहां तक कि डोनाल्ड ट्रम्प के पूर्व सलाहकार पीटर नवारो ने इसे रूस का “लॉन्ड्रोमैट” तक कहा।
भविष्य को लेकर भरोसा
हालांकि पुतिन ने विश्वास जताया कि अंततः सामान्य आर्थिक संवाद बहाल होगा।
एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद जब उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत को लेकर सवाल पूछा गया तो पुतिन ने बताया कि उन्होंने मोदी को हाल ही में अलास्का में डोनाल्ड ट्रम्प से हुई अपनी मुलाकात की जानकारी साझा की थी।