
5 सितंबर 2025। बीजिंग के तियानआनमेन चौक में आयोजित भव्य सैन्य परेड में चीन ने अपनी नवीनतम मिसाइल और उन्नत लेज़र हथियारों का प्रदर्शन कर दुनिया का ध्यान खींचा। यह आयोजन जापान पर विजय और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया, लेकिन इसके रणनीतिक संदेश कहीं गहरे हैं—खासकर अमेरिका की ओर।
परेड की खासियत
इस परेड में चीन ने पहली बार DF-61 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से लैस ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) को पेश किया। आठ-धुरों वाले इस सिस्टम की तकनीकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन विशेषज्ञ इसे पहले से मौजूद DF-41 मिसाइल का उन्नत संस्करण मान रहे हैं। माना जाता है कि DF-41 की मारक क्षमता 12,000–15,000 किमी तक है और यह 10 वॉरहेड तक ले जाने में सक्षम है।
इसके अलावा DF-31BJ ICBM और JL-3 पनडुब्बी-प्रक्षेपित मिसाइल भी प्रदर्शित की गईं। JL-3 की मारक क्षमता चीन को अपनी तटीय सीमा से ही अमेरिका पर प्रहार करने की क्षमता देती है।
वैश्विक पहुंच वाली मिसाइलें
परेड में DF-5C मिसाइल का भी प्रदर्शन हुआ, जिसे "वैश्विक पहुंच" वाली प्रणाली बताया गया। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसमें कक्षीय वारहेड तकनीक और बहु-लक्ष्य प्रणाली (MIRV) शामिल हो सकती है।
इसके साथ ही JL-1 एयर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल भी दिखाई गई, जिसे रूस की किंजल मिसाइल से मिलता-जुलता बताया जा रहा है। इसके अलावा हाइपरसोनिक CJ-1000 और YJ-18C क्रूज मिसाइलें भी आकर्षण का केंद्र रहीं।
टैंक और बख्तरबंद वाहन
चीन ने अपने नए ZTZ-201 टैंक और "टाइप 100" सहायक लड़ाकू वाहन को भी पेश किया। ये आधुनिक प्रतिक्रियाशील कवच और सक्रिय रक्षा प्रणाली से लैस हैं। टैंक में 105 मिमी की तोप है, जिसे 120 मिमी तोप के बराबर माना जा रहा है। सहायक वाहन ड्रोन-नियंत्रण प्रणाली और स्वचालित तोप से लैस है, जिससे यह भविष्य के युद्धों में अहम भूमिका निभा सकता है।
लेज़र हथियारों का प्रदर्शन
सबसे खास आकर्षण रहा चीन के लेज़र हथियारों का प्रदर्शन। LY-1 नौसैनिक लेज़र और अन्य जमीनी प्लेटफॉर्म पर आधारित प्रणालियाँ परेड में शामिल थीं। इनका उद्देश्य महंगी मिसाइलों की बजाय कम लागत में कामिकेज़ ड्रोन और छोटे हवाई खतरों को निष्क्रिय करना है।
रणनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन यह परेड हर साल नहीं करता, इसलिए इस बार का आयोजन उसकी सैन्य क्षमता और नई रणनीतिक सोच का संकेत है। रूस स्थित सेंटर फॉर कॉम्प्रिहेंसिव यूरोपियन एंड इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक वसीली काशिन के मुताबिक, “यह परेड पिछले 15 वर्षों में सबसे अलग है और यह चीन की सैन्य नीतियों में बड़े बदलाव का संकेत देती है।”
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक मानते हैं कि JL-3 और DF-61 जैसी मिसाइलें अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए सीधा संदेश हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य संतुलन अब धीरे-धीरे चीन की ओर झुक रहा है।