
10 सितंबर 2025। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा है कि वह चीन और भारत से आयात पर 100% तक टैरिफ लगाए। उनका तर्क है कि ऐसा कदम रूस पर दबाव बढ़ाने की संयुक्त रणनीति का हिस्सा होना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, यह मांग हाल ही में वाशिंगटन में अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों की बैठक में उठाई गई, जहाँ यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की आर्थिक लागत बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हो रही थी। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ कदम से कदम मिलाने को तैयार है।
अमेरिकी पक्ष का कहना है कि टैरिफ तब तक जारी रहने चाहिए जब तक चीन रूस से तेल खरीदना बंद न करे। साथ ही यह भी साफ किया गया कि यूरोप जो भी टैरिफ लगाएगा, अमेरिका उसकी नकल करेगा।
EU पहले ही रूस से चीन के ऊर्जा आयात को निशाना बनाते हुए संभावित "सेकेंडरी सैंक्शन" पर शुरुआती चर्चा कर चुका है, लेकिन यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि बातचीत अभी शुरुआती दौर में है और अमेरिकी समर्थन ज़रूरी है।
भारत और चीन, दोनों ही रूस से सस्ते कच्चे तेल की बड़ी मात्रा खरीद रहे हैं। नई दिल्ली ने साफ कहा है कि उसकी ऊर्जा नीति घरेलू ज़रूरतों पर आधारित है और बाहरी दबाव स्वीकार्य नहीं। पिछले महीने ट्रम्प ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ 25% से बढ़ाकर 50% कर दिए थे, जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कदम को "अनुचित और अतार्किक" बताया।
बीजिंग ने भी पश्चिमी दबाव को खारिज करते हुए कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता रहेगा। चीनी अधिकारियों ने चेताया कि "टैरिफ युद्ध में कोई विजेता नहीं होता।"
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में चेतावनी दी कि पश्चिम एशियाई दिग्गजों के साथ "औपनिवेशिक भाषा" का इस्तेमाल बंद करे। उन्होंने कहा, "भारत और चीन जैसे अरबों की आबादी वाले देशों की अपनी मज़बूत अर्थव्यवस्थाएँ और राजनीतिक संप्रभुता है। उन्हें सज़ा देने की कोशिश उनकी प्रगति रोकने के बराबर है, और यह अस्वीकार्य है।"