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मप्र का दूसरा अनुपूरक बजट: सरकार के विकास एजेंडा की रूपरेखा, लेकिन कुछ अहम सवाल भी

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 92

3 दिसंबर 2025। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया वित्त वर्ष 2025–26 का दूसरा अनुपूरक बजट सरकार की प्राथमिकताओं की एक झलक देता है। 13,476 करोड़ 94 लाख रुपये के इस बजट में ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, जल संसाधन, उद्योग और शहरी ढांचे को सबसे ज्यादा वजन मिला है। सरकार का दावा है कि यह राज्य की “दीर्घकालिक विकास यात्रा” का हिस्सा है, हालांकि विपक्ष और कुछ विशेषज्ञ इस दिशा को लेकर कुछ चिंताएं भी जता रहे हैं।

ग्रामीण विकास और आवास — बड़ा आवंटन, लेकिन क्रियान्वयन पर सवाल
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान दर्शाता है कि सरकार आवास को गरीबी उन्मूलन का आधार मानती है। यह राशि लाभार्थियों को स्थायित्व देगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गति लाएगी।
लेकिन बीते वर्षों में कई जिलों में अधूरे मकानों, धीमी मंजूरी और पात्रता विवाद जैसे मुद्दे लगातार उठते रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आवंटन बढ़ाने के साथ-साथ ज़मीनी निगरानी भी मजबूत होना जरूरी है।

पंचायतों को 15वें वित्त आयोग के अनुरूप 1,633 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। यह कदम विकेंद्रीकरण को मजबूती देने वाला है। लेकिन कई पंचायतें अभी भी तकनीकी क्षमता और मानव संसाधन की कमी से जूझती हैं, जिससे योजनाओं की गति प्रभावित होती है।

महिला सशक्तिकरण — लाड़ली बहना का विस्तार, पर निर्भरता मॉडल पर बहस जारी
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के लिए 1,794 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि सरकार के सामाजिक एजेंडे को आगे बढ़ाती है। इससे महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा बढ़ी है, यह मानने में दो मत नहीं।
हालांकि आलोचकों का तर्क है कि नकद सहायता को स्थायी सशक्तिकरण का विकल्प नहीं माना जा सकता और राज्य को रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा से जुड़े ढांचागत सुधारों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

जल संसाधन और सिंचाई — बड़े निवेश के बावजूद लंबित परियोजनाएं चिंता का कारण
नर्मदा घाटी विकास और जल संरचनाओं पर हजारों करोड़ का प्रावधान कृषि स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
सरदार सरोवर, बरगी नहर और इंदिरा सागर जैसी परियोजनाओं के लिए दी गई राशि किसानों को राहत दे सकती है।
लेकिन डूब प्रभावितों का पुनर्वास, नहरों की धीमी प्रगति और पानी वितरण की असमानता जैसे मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।

शहरी विकास — तेज़ निवेश, पर ‘पुरानी समस्याएं’ जस की तस
अमृत मिशन 2.0, मिलियन-प्लस शहरों और छोटे शहरों के लिए 365 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान शहरी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कदम है।
लेकिन शहरी निकायों में स्टाफ की कमी, ठेकेदार आधारित मॉडल और सफाई-सड़क गुणवत्ता को लेकर शिकायतें लगातार बनी हुई हैं।

मुख्यमंत्री नगरीय अधोसंरचना निर्माण योजना को 2026–27 तक बढ़ाना स्वागतयोग्य है, लेकिन कई शहरों में स्वीकृत परियोजनाओं का समय पर पूरा न होना पहले ही चिंता का सबब है।

उद्योग और निवेश — बड़े प्रावधान, पर निवेश आकर्षण पर वास्तविकता अलग
औद्योगिक विकास के लिए 650 करोड़ रुपये और उत्पादन इकाइयों को 2,000 करोड़ रुपये की सहायता राज्य में निवेश को बढ़ावा दे सकती है।
लेकिन हाल के वर्षों में कई बड़े प्रोजेक्ट या तो रुक गए या अपेक्षित रोजगार नहीं दे पाए।
उद्योग जगत का कहना है कि जमीन अधिग्रहण, बिजली दरें और परमिशन सिस्टम जैसे मुद्दे अभी भी निवेश प्रवाह को धीमा करते हैं।

शिक्षा और जनजातीय क्षेत्र — सही दिशा, लेकिन संसाधन अभी भी सीमित
समग्र शिक्षा और जनजातीय ग्राम उन्नयन अभियान के लिए 230 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान राज्य की प्राथमिकता को दर्शाता है।
हालांकि शिक्षा क्षेत्र में शिक्षक कमी, स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सीखने के स्तर जैसे मुद्दे बजट राशि से कहीं बड़े हैं।

दिशा अच्छी, लेकिन चुनौतियों पर भी निगाह जरूरी
कुल मिलाकर, यह अनुपूरक बजट सरकार के विकास एजेंडा को आगे बढ़ाने का प्रयास दिखाता है।
गांव, महिला, किसान, शहर और उद्योग—सभी को स्पर्श करने की कोशिश की गई है।

लेकिन ज़मीन पर मौजूद चुनौतियां, योजनाओं का धीमा क्रियान्वयन, ग्रामीण-शहरी असमानताएं और सीमित प्रशासनिक क्षमता सरकार के सामने बड़े सवाल भी खड़े करती हैं।

यह बजट राज्य की दिशा तय करता है—लेकिन क्या यह दिशा वास्तविक विकास में बदल पाएगी, इसका जवाब क्रियान्वयन पर निर्भर करेगा।

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