अब एआई आधारित “वन नेशन, वन प्लेटफॉर्म” पर काम शुरू, लेकिन प्रोजेक्ट फाइनल नहीं
10 दिसंबर 2025। मध्यप्रदेश में पिछले दो से तीन साल से ई-विधान परियोजना को लागू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन अब तक विधानसभा को ई-विधानसभा में तब्दील नहीं किया जा सका है। जहां देश के कई राज्य पूरी तरह पेपरलेस हो चुके हैं, वहीं मध्यप्रदेश अब भी तैयारी और योजनाओं के स्तर पर ही अटका हुआ है।
सरकार का दावा है कि अब विधानसभाओं को “वन नेशन, वन प्लेटफॉर्म” के तहत जोड़ा जाएगा, जिससे सभी राज्यों की विधानसभाएं एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ सकेंगी और कामकाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में अभी तक NeVA (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) प्रोजेक्ट का पूर्ण क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
नई दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक, मध्यप्रदेश फिर ‘तैयारी’ में
संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा कुछ दिनों पहले ही नई दिल्ली में बुलाई गई समीक्षा बैठक में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यों से प्रगति रिपोर्ट मांगी। जानकारी के मुताबिक, देश के 22 राज्यों में यह प्रोजेक्ट लागू हो चुका है, जबकि मध्यप्रदेश अब भी प्रारंभिक चरण में है।
बैठक में उन राज्यों ने भी अपनी समस्याएं बताईं जिन्होंने प्रोजेक्ट लागू कर दिया है, लेकिन मध्यप्रदेश की रिपोर्ट में अब तक केवल “प्रक्रिया जारी है” लिखा गया।
विधायकों की ट्रेनिंग और तकनीकी भर्ती में भी देरी
विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों और उनके सहायकों के लिए ट्रेनिंग शुरू करने की बात कही जा रही थी, लेकिन अभी तक ट्रेनिंग शेड्यूल तय नहीं हुआ है। विधानसभा के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया लंबित है।
इसी तरह, परियोजना के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञों की भर्ती भी टलती जा रही है। कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामर के 10 से 20 पद प्रस्तावित हैं, पर भर्ती प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई।
अधूरी तैयारियां, अधूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर
विधानसभा परिसर में हाई-स्पीड इंटरनेट और डिजिटल डिस्प्ले लगाने का काम चल रहा है, पर पूरी तरह संचालित सिस्टम अभी तक तैयार नहीं है। टैबलेट वितरण और मोबाइल एप का निर्माण भी आधा-अधूरा है।
बाकी राज्यों से पीछे मध्यप्रदेश
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल जैसे राज्य जहां पूरी तरह ई-विधान प्रणाली पर काम कर रहे हैं, वहीं मध्यप्रदेश की विधानसभा अभी “टेस्टिंग फेज” में है।
अधिकारियों का कहना है कि अगर सब कुछ समय पर हो पाया, तो 2026 के बजट सत्र तक विधानसभा पेपरलेस हो सकेगी — लेकिन फिलहाल यह भी सिर्फ एक “लक्ष्य” भर है, हकीकत नहीं।














